
सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी छुपाने में लगे जनपद के अधिकारी
संदीप खत्री ✍️✍️✍️✍️✍️
झाबुआ – सूचना का अधिकार अधिनियम भारतीय संसद द्वारा 2005 में पारित किया गया था इसमें भारत के हर नागरिक और सरकारी संगठनों से जानकारी प्राप्त करने का अधिकार दिया गया इस कानून के अंतर्गत जनता को सरकारी दफ्तर और विभागों, मंत्रालय और सरकारी संगठनों से सूचना प्राप्त करने का अधिकार होता है सूचना का अधिकार (RTI) अर्थात सूचना पाने का अधिकार, जो सूचना अधिकार कानून लागू करने वाला राष्ट्र अपने नागरिकों को प्रदान करता है सूचना के अधिकार द्वारा राष्ट्र अपने नागरिकों को प्रदान करता है सूचना के अधिकार द्वारा राष्ट्र अपने नागरिकों को अपने कार्य को और प्रशासनिक प्रणाली को सार्वजनिक करता है नागरिक को सूचना प्रदान करने के लिए सभी विभागों में लोक सूचना अधिकारी एवं प्रथम अपीलीय अधिकारी नियुक्त किए गए हैं जिनका कर्तव्य है कि वह किसी भी नागरिक के द्वारा चाही गई सूचना समय पर उपलब्ध करावे ताकि किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार पर रोक लगाई जा सके लेकिन कुछ ऐसे आलसी लोक सूचना अधिकारी भी है जो अपने कर्तव्य का पालन एवं निर्वहन नहीं करते हैं ताकि उनके द्वारा किए गए भ्रष्टाचार उजागर ना हो इसलिए नागरिकों को सूचना प्रदान नहीं करते हैं ऐसा ही एक मामला झाबुआ जिले के मेघनगर जनपद का है जहां पर एक RTI कार्यकर्ता द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मेघनगर जनपद के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत बेड़ावली से संबंधित जानकारी चाही गई थी इसके बाद आवेदक ने प्रथम अपील भी जनपद सीईओ मेघनगर अंतरसिंह डावर के समक्ष पेश की लेकिन प्रथम अपील के एक माह के बाद भी अपीलीय अधिकारी न जाने क्यों आवेदक को जानकारी प्रदान नहीं करवा रहे हैं और ना ही इस विषय में किसी भी प्रकार की सुनवाई की गई है ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि आखिर क्यों अपने ही विभाग के कर्मचारियों द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम के नियमों की अवहेलना करने पर भी प्रथम अपीलीय अधिकारी अपने अधीनस्त कर्मचारियों पर मेहरबान है अब आगे यह देखना है कि क्या आवेदक को चाही गई जानकारी प्रथम अपीलीय अधिकारी द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी या फिर अपने अधीनस्थ कर्मचारियों द्वारा जानकारी छुपाने में उसका साथ दिया जाएगा