आखिरकार मिला मंडल अध्यक्ष! इंतज़ार ऐसा जैसे कुंभ में खोया बच्चा बरसों बाद मिला हो

संपादकीय

मेघनगर – लंबे समय से जनता, कार्यकर्ता और खुद पार्टी के नेता इस बात का इंतज़ार कर रहे थे कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) मेघनगर मंडल में अपना नया अध्यक्ष कब घोषित करेगी। महीनों की गुप्त मंत्रणाओं, फोन घनघनाहटों और नेताओं की चाय पर बैठकों के बाद अंततः पार्टी ने वह ऐतिहासिक नाम घोषित कर दिया, जिसका इंतज़ार इतना लंबा हो गया था कि कार्यकर्ताओं ने तो यह मान ही लिया था कि या तो अध्यक्ष पद अब “मर्ज” हो गया है, या फिर “मोक्ष” को प्राप्त हो गया है।

सूत्रों के अनुसार, इस पद की घोषणा से पहले दिल्ली से लेकर जिला स्तर तक विचार-विमर्श का ऐसा समुद्र मंथन हुआ, कि समझ ही नहीं आया अध्यक्ष निकलेगा या फिर “अमृत”। मेघनगर के एक पुराने कार्यकर्ता ने कहा – “भाईसाहब, अध्यक्ष का नाम आने से पहले तो हमारे घर में दो बार छत बदली, लेकिन मंडल अध्यक्ष नहीं बदला।”

घोषणा के बाद पार्टी कार्यालय में खुशी का माहौल रहा, हालांकि कुछ पुराने दावेदारों को ऐसा झटका लगा कि वे तुरंत मोबाइल ऑफ कर के “आंतरिक तपस्या” में चले गए।

कई कार्यकर्ताओं को तो यकीन ही नहीं हुआ कि आखिरकार वो पद जिसे लेकर 17 बार चाय-पकोड़े की मीटिंग्स, 32 बार व्हाट्सएप ग्रुप में बहस, और 58 बार “पार्टी लाइन” का हवाला देकर बात टाली गई – आज अचानक घोषित हो गया!

कुछ नेतागण जो वर्षों से “मंडल अध्यक्ष इन वेटिंग” की भूमिका में थे, अब खुद को “संभावित जिला महामंत्री” घोषित कर अपने पोस्टर अपडेट करवा रहे हैं।

विशेष सूचना:
मेघनगर की जनता अब यह उम्मीद कर रही है कि इसी गति से विकास कार्यों की भी घोषणाएं हों — भले ही वे दशकों बाद पूरी हों।

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